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बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी (RJD) भी इस बात को मानती है कि बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के पास संसाधन ज्यादा हैं, लिहाजा डिजिटल चुनाव प्रचार की स्थिति में आरजेडी इनसे पिछड़ सकती है.
आरजडी ने क्यों बदली रणनीति ?
बड़ा सवाल ये है कि आरजेडी की रणनीति में बदलाव क्यों आया? बीजेपी-जेडीयू के डिजिटल चुनाव प्रचार और वर्चुअल रैली पर सवाल खड़ा करने वाले तेजस्वी यादव खुद वर्चुअल मीटिंग क्यों करने लगे? विरोधियों के सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि 26 जुलाई को रैली नहीं बल्कि मीटिंग हो रही है. इसमें जिले के पदाधिकारियों से तेजस्वी यादव संवाद करेंगे. बीजेपी और जेडीयू वाले रैली करते हैं, जिसका कोई महत्व नहीं है.
गौरतलब है कि आरजेडी समेत नौ दलों के नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त के सामने इस बात की गुहार लगाई है कि अगर तय वक्त पर चुनाव होते हैं तो फिर सभी दलों को चुनाव प्रचार के समान अवसर मिलने चाहिए. बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी भी इस बात को मानती है कि बीजेपी और जेडीयू के पास संसाधन ज्यादा हैं, लिहाजा डिजिटल चुनाव प्रचार की स्थिति में आरजेडी इनसे पिछड़ सकती है. यही वजह है कि कई बार डिजिटल चुनाव प्रचार को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं और आरजेडी की तरफ से परंपरागत तरीके से चुनाव प्रचार करने की वकालत की जाती रही है. पार्टी को लगता है कि परंपरागत तरीके से चुनाव प्रचार में भले ही सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का ख्याल रखा जाए और मास्क (face masks) अनिवार्य किया जाए लेकिन उसमें सबको समान अवसर मिलेगा.न्यूज 18 से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेल्लारी कहते हैं ‘आरजेडी को लगता है कि वर्चुअल तरीके से हम कम्पीट नहीं कर पाएंगे, लिहाजा वे परंपरागत तरीके से चुनाव प्रचार चाहते हैं लेकिन अपनी तरफ से तैयारी कर रहे हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर वर्चुअल और डिजिटल प्रचार भी किया जा सके. इसी कड़ी में तेजस्वी यादव की तरफ से अपनी पार्टी के पदाधिकारियों के साथ वर्चुअल मीटिंग बुलाई गई है.’
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डिजिटल प्रचार के लिए तैयार आरजेडी!
तेजस्वी यादव और आरजेडी के नेताओं की तरफ से तय वक्त पर बिहार में विधानसभा चुनाव कराने की मांग को लोगों के स्वास्थ्य से जोड़ा जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक आरजेडी चाहती है कि कोरोना के चलते चुनाव की तारीख टल जाए जिससे राष्ट्रपति शासन में चुनाव हो सके क्योंकि आरजेडी अभी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सबसे बड़ा खतरा मानती है लेकिन कुछ पार्टी नेताओं को लगता है कि अगर बिहार विधानसभा चुनाव तय वक्त पर होते हैं और उसमें भी डिजिटल तरीके से प्रचार की नौबत आती है तो उसके लिए हमें तैयार रहना होगा, केवल संसाधनों की कमी का रोना रोकर बीजेपी-जेडीयू के डिजिटल चुनाव प्रचार से मुकाबला नहीं किया जा सकता. चुनाव आयोग की तरफ से भी मिल रहे संकेतों से ऐसा लगता है कि वोटिंग परंपरागत तरीके से ही होगी, भले ही प्रचार का तरीका डिजिटल क्यों न हो? यही वजह है कि अब बिहार की मुख्य विपक्षी दल आरजेडी भी डिजिटल अवतार में नजर आ रही है.
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